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समुद्र तट पर पियानो

जिम डॉरनैन

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :197
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7182
आईएसबीएन :81-8322-017-7

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कहा जाता है कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है। इस पुस्तक में मैं आपके मस्तिष्क में कुछ तस्वीरों के बीज बोना चाहता हूँ।...

Samdura Tat Par Piano - A Hindi Book - by Jim Dornan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आप जो देखते हैं, लगभग हमेशा आपको वही मिलता है ! यह ख़ास तौर पर सच है, जब आप सफल और सार्थक जीवन चाहते हों। आप अपने भविष्य की जैसी तस्वीर देखेंगे, वह साकार हो जाएगी।
इस विचार-प्रधान पुस्तक में जिम डॉरनैन सफलता और सार्थकता से जुड़े तेरह बहुमूल्य सिद्धांत बताते हैं। ये शाश्वत सिद्धांत तस्वीरों में गूँथे गए हैं, जो सचमुच एक हज़ार शब्दों से ज़्यादा मूल्यवान है :

*ऐलिगेटर आपको टाइमिंग के बारे में क्या सिखा सकती है ?
*तीन डॉलर के बल्ब की कहानी आपको प्राथमिकताओं पर चलने की आवश्यकता के बारे में क्या बता सकती है ?
*बैकॉक की सीमेंट की मूर्ति आपको अपने महत्व के बारे में क्या सबक़, सिखा सकती है ?
*‘‘ज़िंदा गोल्डफ़िश’’ डर पर विजय पाने के बारे में आपको क्या सिखा सकती है ?
*एक छोटे लड़के की आइसक्रीम चरित्र-निर्माण और उदारता के महत्व के बारे में आपसे क्या कहती है ?

और भी बहुत कुछ...
क्या आप आज किसी घटिया रेस्टोरेंट में बैठकर ठंडा सैंडविच खा रहे हैं, जबकि आप ग्रीस में समुद्र किनारे बैठकर पियानो के संगीत के बीच अपनी पत्नी के साथ कैंडललाइट डिनर का आनंद ले सकते थे ? शायद आप जितना देख सकते हैं, उतना नहीं ‘‘देख’’ रहे हैं !
अपने बारे में आपने जिस सर्वश्रेष्ठ तस्वीर की कल्पना की हो, उससे कम में संतुष्ट न रहें।

प्रस्तावना

एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है

कहा जाता है कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है। इस पुस्तक में मैं आपके मस्तिष्क में कुछ तस्वीरों के बीज बोना चाहता हूँ। इसके बाद मैं हर तस्वीर को कुछ हज़ार शब्दों में समझाना भी चाहूँगा ! इसका कारण यह है कि मैंने ज़िंदगी में जो सबसे प्रेरक और उपयोगी सबक़ सीखे हैं, उन्हें तस्वीरों के साथ जोड़कर देखा जा सकता है। इसकी ख़ासियत यह है कि हर तस्वीर में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत छिपा है। आपके सामने ‘‘जिंदगी के सबक वाली तस्वीरें’’ रखने में मैं रोमांच का अनुभव कर रहा हूँ।
इस पुस्तक में आपको जादुई फ़ॉर्मूले नहीं मिलेंगे। इसमें तो सिर्फ़ सामान्य और सहज सिद्धांत बताए गए हैं, जो कारगर साबित हुए हैं। अपने व्यवसाय और ज़िंदगी में मैं जितना आगे बढ़ा हूँ, मैंने उतना ही अधिक पाया है कि सफलता सरलता से मिलती है। बहरहाल, इतना ध्यान रखें कि इसे पाना सरल है... आसान नहीं है।

युवावस्था में जब मैं इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने के लिए गया, तो मेरे मस्तिष्क में सफलता के बारे में कई सिद्धांत और विश्वास भरे थे। वे सब ग़लत और भ्रामक थे। परंतु सच्चाई जानने का कोई उपाय नहीं था। मैं जिस कॉलेज में गया था, वहाँ लीडरशिप, उद्यमिता या सफलता पर कोई पाठ्यक्रम नहीं था। मूलभूत पाठ्यक्रम में अंग्रेजी, इतिहास, गणित, विज्ञान और भौतिकी जैसे विषय थे। बाद में मेरे पाठ्यक्रम में थर्मोडायनेमिक्स, कैलकुलस, रॉकेट प्रोपल्शन, सांख्यिकी और क्वांटम फ़िज़िक्स जैसे विषय आ गए। मेरे सहपाठी नर्सिंग, लेखांकन, शिक्षा, कानून और चिकित्सा आदि विषयों का अध्ययन कर रहे थे। ये सब विषय अच्छे थे, बहरहाल इनसे यह नहीं सीखा जा सकता था कि सफल और सार्थक जीवन कैसे जिया जाता है।

अब तक के अपने अनुभव में मैंने देखा है कि लोगों के मन में सफलता के बारे में आम तौर पर चार अवधारणाएँ होती हैं

1. सफल लोग ज़्यादा प्रतिभाशाली या योग्य होते हैं।
यह आम धारणा उन लोगों में होती है, जिनके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होता है या जो दरअसल अपनी प्रतिभा या योग्यता को समझ ही नहीं पाते हैं। वे दूसरों को खुद से ज़्यादा स्मार्ट या योग्य मानते हैं। इस तुलना का परिणाम यह होता है कि वे अपने भीतर छिपी योग्यताओं और गुणों का विकास करने की कोशिश ही नहीं करते हैं। दूसरों से तुलना के आधार पर वे अपनी अकर्मण्यता को तर्कसंगत भी ठहराते हैं। सफल लोगों का मैं जितना ज़्यादा अध्ययन करता हूँ, मुझे उतना ही ज़्यादा एहसास होता है कि प्रतिभा, नैसर्गिक योग्यता और बाहरी छवि का सफलता से बहुत कम सरोकार होता है। इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है।

2. सफल लोगों की परिस्थितियाँ बेहतर होती हैं।
बहुत से लोग इस तरह के बहाने बनाते हैं : शिक्षा नहीं मिली या पर्याप्त नहीं मिली, धन नहीं था या पर्याप्त नहीं था, अनुभव नहीं था या पर्याप्त नहीं था। अपनी असफलता के लिए वे कई और बहाने बनाते हैं, जैसे कड़ी प्रतिस्पर्धा, बीमारी, पूर्व बिज़नेस में असफलता या युद्ध। ऐसे बहाने बनाने वाले ज़्यादातर लोग तो सफल होने की कोशिश ही नहीं करते हैं। कुछ कहते हैं कि उनकी उम्र बहुत कम है–वे यह भूल जाते हैं कि बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी 19 साल की उम्र में बनाई थी। कुछ कहते हैं कि उनकी उम्र बहुत ज़्यादा है– वे यह भूल जाते हैं कि कर्नल सैंडर्स ने केंटुकी फ़्राइड चिकन की शुरुआत 65 साल की उम्र में की थी। जब सपने और इच्छाएँ पर्याप्त बड़े होते हैं, तो परिस्थितियों से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।

3. सफल लोग ख़ुशकिस्मत होते हैं।
कुछ लोग मान लेते हैं कि ब्रह्मांड में ‘‘बड़े अवसर’’ सिर्फ गिने-चुने होते हैं– और उन्हें अब तक ऐसा कोई अवसर नहीं मिला। वे यह मानते हैं कि ‘‘अगर’’ वे सही समय पर, सही जगह पर, सही व्यक्ति के साथ होते, तो उनकी ज़िंदगी का नक़्शा ही कुछ और होता। बहरहाल, सफलता कोई लॉटरी नहीं है, जिसमें निश्चित संख्या में ही लोग सफल हो सकते हों। सचमुच सफल लोग आपको तत्काल बता देंगे कि जब वे अवसर बनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हुए, तो उनकी क़िस्मत अपने आप बदलने लगी। जब वे तन-मन-धन से अपने सपने का पीछा करने लगे और उस सपने को साकार करने के लिए मेहनत करने लगे, तो ‘‘खुशकिस्मती’’ अचानक उनके सामने आकर खड़ी हो गई। ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है, जो कुछ लोगों के पास है और कुछ के पास नहीं है। बड़े सपने, ऊँचे लक्ष्य, सकारात्मक दृष्टिकोण, सही जीवनमूल्य और कड़ी मेहनत हर इंसान की पहुँच के भीतर है।

4. सफल लोग धोखा देते हैं।
बहुत से लोग यह मानते हैं कि जितने भी लोग सफल हुए हैं, वे सब किसी न किसी तरह धोखा देकर, चोरी करके, झूठ बोलकर या बेईमानी करके अमीर बने हैं। वे यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि ईमानदार और मेहनती व्यक्ति भी सफल हो सकता है। बहरहाल, तथ्यों के आधार पर यह अवधारणा ग़लत साबित होती है। अधिकांश लखपति अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़े हैं। इनमें से कुछ तो पहली पीढ़ी के अप्रवासी अमेरिकी हैं, जिनका एक छोटा बिज़नेस था, जो हर दिन कड़ी मेहनत करते थे और जो अपने बिज़नेस के विस्तार के लिए धन बचाकर उसका निवेश करते थे। वैसे यह सच है कि लालच और महत्वाकांक्षा के कारण कुछ लोग भ्रष्ट बन सकते हैं, परंतु लालची और महत्वाकांक्षी लोग लगभग हमेशा अपने जहाज़ को चट्टानों से टकरा देते हैं। हो सकता है वे धनवान बन जाएँ, परंतु वे जीवन के सचमुच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शायद ही कभी दौलतमंद बन पाते हैं।

अगर आप सचमुच सफल होना चाहते हैं, तो आपको उपरोक्त चार अवधारणाओं को नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए और नकार देना चाहिए। इसके बजाय आप वास्तविक सच्चाइयों और सिद्धांतों को खोजें, जिनसे मानसिक और हार्दिक शांति... सुरक्षा और स्वतंत्रता... प्रेम और सम्मान... तथा दूसरों को लाभ पहुँचाने वाला सार्थक जीवन मिलता है।
मेरी ज़िंदगी की शुरुआत कतई रोमांचक नहीं थी। मेरे शुरुआती वर्षों में कुछ भी अद्भुत नहीं था। परड्यू यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री लेने के बाद मैं अपनी पत्नी नैन्सी के साथ कैरियर शुरू करने के लिए कैलिफ़ोर्निया पहुँच गया। नैन्सी एक स्कूल में स्पीच थैरेपिस्ट बन गईं और मैं मैकडॉनेल डगलस (अब बोइंग) के लिए व्यावसायिक हवाई ज़हाजों के डिज़ाइन बनाने लगा। हम दोनों इतनी ज़्यादा देर तक काम करते थे कि हम एक-दूसरे से मुश्किल से मिल पाते थे। यह एक बहुत बड़ा झटका था, क्योंकि कॉलेज में हम हमेशा साथ-साथ रहते थे। अचानक मुझे दुनिया दमघोंटू, नकारात्मक और नियंत्रणकारी लगने लगी। जब मैंने कंपनी की सीढ़ी पर अपने से ऊपर खड़े लोगों की ज़िंदगी को देखा... तो मैंने पाया कि मैं वह नहीं चाहता था, जो उनके पास था। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरा सारा प्रशिक्षण मुझे एक ऐसे उद्योग में ले आया था, जहाँ मैं ख़ुद को शिकंजे या जाल में फँसा महसूस कर रहा था !

हमने फैसला किया कि हम अपना ख़ुद का बिज़नेस शुरू करेंगे। हमने इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य की दिशा में क़दम बढ़ाया। हालाँकि हमारा पहला क़दम छोटा था, परंतु जल्दी ही मैंने ख़ुद को एक बिलकुल नए संसार में पाया। उद्यमी (entrepreneur) के रूप में मुझे मार्केटिंग टीम बनाना थी और ग्राहकों का विश्वास भी जीतना था। यह काम मैंने पहले कभी नहीं किया था। जब नैन्सी ने लोगों के साथ मेरा व्यवहार देखा, तो उसने मुझे सलाह दी कि अगर मैं उन्नति करना चाहता हूँ, तो मुझे तत्काल ‘‘व्यक्तित्व बदल लेना चाहिए।’’ और उसने सच कहा था !

इस दिशा में ख़ुद को शिक्षित करने के लिए मैं पुस्तकें पढ़ने लगा। मैंने जो पहली दो पुस्तकें पढ़ीं उन्होंने मुझ पर बहुत गहरा प्रभाव डाला। वे पुस्तकें थीं, डेविड श्वार्टज़ की द मैजिक ऑफ़ थिंकिंग बिग (बड़ी सोच का बड़ा जादू) और डेल कारनेगी की हाऊ टु विन फ्रेंड्स एंड इंफ़्लुएंस पीपुल (लोक व्यवहार : प्रभावित करने की कला)
मैंने सीखा कि लोग किस चीज़ से प्रेरित होते हैं और नज़रिया कितना महत्वपूर्ण होता है। मैंने लक्ष्य-निर्धारण, संप्रेषण और डर दूर करने के तरीक़े सीखे। मुझे ऐसा महसूस हुआ, जैसे मैं किसी रहस्यमय ख़जाने का नक़्शा देख रहा था।

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